संभाग के बारे में
लोक प्राधिकरण का संक्षिप्त इतिहास और इसके गठन का प्रसंग सन् १९५० में प्रशासकीय दृष्टि से प्रदेश को संभागों में बाटा गया एवं संभागायुक्त के पद का सृजन किया गया जिसका उदे्श्य संभाग के अधीन आने वाले जिलों, अनुविभाग, तहसील, एवं जनपद स्तर के अधिकारियों कर्मचारियों के कार्यो पर नियंत्रण रखा जा सकें एवं उनके कार्यो की समय-समय पर समीक्षा हो सकें। शासन की योजनाओं का लाभ जन साधारण तक पहुॅच रहा है अथवा नहीं इसकी निगरानी किया जाना।
संभागांतर्गत ५ जिले ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, दतिया, अशोकनगर शामिल हैं।
संभाग के अधीन आने वाले प्रशासकीय एवं कार्यपालिक कार्यालयों का समय-समय पर नियमित एवं आकस्मिक निरीक्षण किया जा कर उनके कार्य में सुधार लाया जाना।
संभाग के अधीनस्थ अधिकारियों के कार्यो पर नियंत्रण एवं मार्ग दर्शन ।
संभाग स्तर पर संभाग के अधीन आने वाले प्रशासकीय/कार्यपालिक अधिकारियों पर नियंत्रण रखा जाना। अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों के निर्णीत प्रकरणों के अपीलीय अधिकारी / अधीनस्थ कार्यालयों के कार्यो की समय-समय पर समीक्षा की जाना।